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गिरना भी अच्छा है, औकात का पता चलता है

गिरना भी अच्छा है, औकात का पता चलता है। बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को, अपनों का पता चलता है। जिन्हें गुस्सा आता है, वो लोग सच्चे होते हैं। मैंने झूठों को अक्सर मुस्कुराते हुए देखा है। सीख रहा हूं अब मैं भी इंसानों को पढ़ने का हुनर सुना है चेहरे पे किताबों से ज्यादा लिखा होता है।

मतलबी दुनिया

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कभी अपना था जो आज पराया हो गया बदला फिर भी कुछ नहीं बस 'पट्टा''बदल गया बड़े किस्म किस्म के लोग हैं यहां बड़ी सतरंगी है ये कहकशां मिलते तो हम अब भी है उनसे पर, अब वो पहले वाली बात कहां जहां हो, जैसी हो, वहीं....वैसे ही रहना तुम...! तुम्हें पाना जरुरी नहीं, तुम्हारा होना ही,काफी है मेरे लिये..