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Showing posts from February, 2018

दिल मेरा जिस से बहलता

दिल मेरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिला बुत के बंदे तो मिले अल्लाह का बंदा न मिला गुल के ख्व़ाहाँ तो नज़र आए बहुत इत्रफ़रोश तालिब-ए-ज़मज़म-ए-बुलबुल-ए-शैदा न मिला वाह क्या राह दिखाई हमें मुर्शिद ने कर दिया काबे को गुम और कलीसा न मिला सय्यद उठे तो गज़ट ले के तो लाखों लाए शेख़ क़ुरान दिखाता फिरा पैसा न मिला

कोई हँस रहा है कोई रो रहा है

को ई हँस रहा है कोई रो रहा है कोई पा रहा है कोई खो रहा है कोई ताक में है किसी को है गफ़लत कोई जागता है कोई सो रहा है कहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराई कोई बीज उम्मीद के बो रहा है इसी सोच में मैं तो रहता हूँ  हरदम।। यह क्या हो रहा है यह क्यों हो रहा है।।

हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है

हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है ना-तजुर्बाकारी से, वाइज़ की ये बातें हैं इस रंग को क्या जाने, पूछो तो कभी पी है उस मय से नहीं मतलब, दिल जिस से है बेगाना मक़सूद है उस मय से, दिल ही में जो खिंचती है वां दिल में कि दो सदमे,यां जी में कि सब सह लो उन का भी अजब दिल है, मेरा भी अजब जी है हर ज़र्रा चमकता है, अनवर-ए-इलाही से हर साँस ये कहती है, कि हम हैं तो ख़ुदा भी है सूरज में लगे धब्बा, फ़ितरत  के करिश्मे हैं बुत हम को कहें काफ़िर, अल्लाह की मर्ज़ी है                        अकबर इलाहाबादी

मंदिर-मस्जिद-गिरजाघर

मं दिर-मस्जिद-गिरजाघर ने बाँट लिया भगवान को, धरती बांटी, सागर बांटा, मत बांटो इंसान को. मंदिर-मस्जिद… हिन्दू कहता मंदिर मेरा, मंदिर मेरा धाम है, मुस्लिम कहता मक्का मेरा अल्लाह का इमान है. दोनों लड़ते, लड़ लड़ मरते, लड़ते लड़ते ख़तम हुए. दोनों ने एक दूजे पर न जाने क्या क्या ज़ुल्म किये. किसका ये मकसद है, किसकी चाल है ये जान लो, धरती बांटी, सागर बांटा, मत बांटो इन्सान को. मंदिर-मस्जिद.. नेता ने सत्ता की खातिर कौमवाद से काम लिया, धरम के ठेकेदार से मिलकर लोगों को नाकाम किया, भाई बंटे टुकड़े-टुकड़े में, नेता का ईमान बढा वोट मिले और नेता जीता शोषण को आधार मिला. वक़्त नहीं बीता है अब भी, वक़्त की कीमत जान लो. धरती बांटी, सागर बांटा, मत बांटो इंसान को. मंदिर-मस्जिद… प्रजातंत्र में प्रजा को लूटे ये कैसी सरकार है, लाठी गोली ईश्वर अल्लाह ये सारे हथियार हैं, इनसे बचो और बच के रहो और लड़कर इनसे जीत लो, हक है तुम्हारा चैन से रहना अपने हक को छीन लो, अगर हो तुम शैतानी से तंग, ख़त्म करो शैतान को, धरती बांटी, सागर बांटा, मत बांटो इंसान को. मंदिर-मस्जिद….

वीर सैनिक

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ह म लड़ते हैं गौ रक्षा के लिए, वो मरते हैं हमारी रक्षा के लिए। होती है जब बरसात,हम ढूंढते हैं आशियाना, चलती है जब गोलियां वे अड़ाते हैं अपना सीना। तुम करते हो बात पत्थरबाजों के मानवाधिकार की, क्या कभी सोचा है, उन वीरों की बलिदान की। आतंक के कुकृत्य की तुम करते हो जयकार, उन वीरों के परिवार का कैसा होगा हाल। तुम्हें शक होता है उन वीरों के कारनामों की, कभी फिक्र की है उन साहस के पर्याय के खाने की। तुम्हारे लिए होती है होली, ईद और दशहरा, उन्हें तो बस प्यारी है मां भारती की रक्षा। तुम्हे चिंता है अपने पेंशन और वेतनमान की, उन्हें तो फिक्र है सिर्फ भारत देश महान की। अपनी राजनीति करने में तुम कर देते हो हद पार, अपनी अदम्य साहस से वे दुश्मनों को कर देते है तड़ीपार। हम लड़ते हैं गौ रक्षा के लिए, वो मरते हैं हमारी रक्षा के लिए।

जिंदगी : एक सुहाना सफ़र

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जिंदगी की तपिश को मुस्कुराकर झेलिए साहब धूप चाहे कितनी भी हो,समंदर सूखा नहीं करते करो डटकर मुकाबला इस कठिन दौर-ए-इम्तिहान का कौन मिटा पाया है अबतक लिखा विधि के विधान का किताब चाहे कितनी भी पुरानी हो जाए पर उसके अल्फ़ाज़ नहीं बदलेंगे कभी याद आए तो पन्ने पलट कर देखना हम आज जैसे हैं,कल भी वैसे ही मिलेंगे

इक अधूरी प्रेम कहानी

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 किया कुर्बान अपनी सारी ख़ुशी जिनके लिए ख़ुदग़र्ज़ मुझे ही भूल गए गैरों की ख़ुशी के लिए जागते थे जिनके लिए कभी सारी रात छुप छुपाकर ख़ुदग़र्ज़ मुंहमोड़ रहें हैं आज दूजे को ढाल बनाकर   ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया  जाने क्यूं आज तेरे नाम पे रोना आया  जब हुआ जिक्र जमाने में मोहब्बत का  मुझे अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया

मेरे पापा

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नाम दिया पहचान दिया हाथ पकड़ सही दिशा दी क्रोधित होने पर भी उसने दिल से हमेशा प्यार किया दिनभर दौड़ धूप कर उसने भरन पोषण का इंतजाम किया आंखों में सपने देखे हमने ही,पर उन सपनों को उड़ान पिता ने दिया

बोझ नहीं है बेटियां

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डरते नहीं मां बाप बेटियों के जन्म से वो डरते है कुछ दरिंदो के कुकर्म से तिलक -दहेज़ की बात तो तब होती जब बेटी पढ़ लिख कर बड़ी होती जो कहते है लड़कियां भी होती है गुनहगार बताएं उस आठ माह की अबोध की गुनाह सुनकर इस घटना को हर मां चीख निकल गई होगी स्वर्गलोक में आज राममोहन की आत्मा भी रोई होगी