बोझ नहीं है बेटियां


डरते नहीं मां बाप बेटियों के जन्म से
वो डरते है कुछ दरिंदो के कुकर्म से
तिलक -दहेज़ की बात तो तब होती
जब बेटी पढ़ लिख कर बड़ी होती

जो कहते है लड़कियां भी होती है गुनहगार
बताएं उस आठ माह की अबोध की गुनाह
सुनकर इस घटना को हर मां चीख निकल गई होगी
स्वर्गलोक में आज राममोहन की आत्मा भी रोई होगी

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

गिरना भी अच्छा है, औकात का पता चलता है

कविता तिवारी का देशप्रेम

मंदिर-मस्जिद-गिरजाघर