जिंदगी : एक सुहाना सफ़र




जिंदगी की तपिश को मुस्कुराकर झेलिए साहब
धूप चाहे कितनी भी हो,समंदर सूखा नहीं करते
करो डटकर मुकाबला इस कठिन दौर-ए-इम्तिहान का
कौन मिटा पाया है अबतक लिखा विधि के विधान का

किताब चाहे कितनी भी पुरानी हो जाए
पर उसके अल्फ़ाज़ नहीं बदलेंगे
कभी याद आए तो पन्ने पलट कर देखना
हम आज जैसे हैं,कल भी वैसे ही मिलेंगे

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