वीर सैनिक

म लड़ते हैं गौ रक्षा के लिए,
वो मरते हैं हमारी रक्षा के लिए।



होती है जब बरसात,हम ढूंढते हैं आशियाना,
चलती है जब गोलियां वे अड़ाते हैं अपना सीना।
तुम करते हो बात पत्थरबाजों के मानवाधिकार की,
क्या कभी सोचा है, उन वीरों की बलिदान की।

आतंक के कुकृत्य की तुम करते हो जयकार,
उन वीरों के परिवार का कैसा होगा हाल।
तुम्हें शक होता है उन वीरों के कारनामों की,
कभी फिक्र की है उन साहस के पर्याय के खाने की।

तुम्हारे लिए होती है होली, ईद और दशहरा,
उन्हें तो बस प्यारी है मां भारती की रक्षा।
तुम्हे चिंता है अपने पेंशन और वेतनमान की,
उन्हें तो फिक्र है सिर्फ भारत देश महान की।

अपनी राजनीति करने में तुम कर देते हो हद पार,
अपनी अदम्य साहस से वे दुश्मनों को कर देते है तड़ीपार।
हम लड़ते हैं गौ रक्षा के लिए,
वो मरते हैं हमारी रक्षा के लिए।

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